BBC Radio Podcasts from कहानी ज़िंदगी की

कहानी ज़िंदगी की

रत्ना पाठक: रंगमंच से शुरू होकर टीवी और सिनेमा तक पहुंचने का सफ़र

रत्ना की नज़र में भारत से लेकर दुनिया के संस्थानों तक एक्टिंग के अच्छे टीचर हैं ही नहीं.

सुरेश वाडकर: आवाज़ जो दिलों को छूती है

सुरेश वाडकर ऐसे गायक हैं जिनकी आवाज़ रूहानियत, शास्त्रीयता और भावनाओं का अनोखा संगम है.

अनुराधा पौडवाल:गुलशन कुमार और लता से 'आशिकी' तक

अनुराधा पौडवाल फ़िल्मों तक सीमित नहीं रहीं, भजनों के ज़रिए भी वो एक बड़े वर्ग तक पहुंचीं.

सुप्रिया पाठक: 'बाज़ार' की 'खिचड़ी' से दर्शकों का दिल जीतने वाली

वो नाटक का मंच हो, सिनेमा का पर्दा हो, या टीवी की स्क्रीन, सुप्रिया ने हर जगह छाप छोड़ी.

उस्ताद अमजद अली ख़ान: नवाबों के दरबार से निकल सरोद की दुनिया रचने वाले

अमजद अली ख़ान के पुरखों ने ही मध्य एशिया के वाद्य रबाब को संवारते हुए सरोद की शक्ल दी.

अंजन श्रीवास्तव: 'वागले की दुनिया' का वो पिता जो आम आदमी है

अंजन श्रीवास्तव ने अपनी सादगी और विश्वसनीय अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई.

पं. हरिप्रसाद चौरसिया: बांसुरी का वो 'सिलसिला' जिसमें हैं ज़िंदगी के 'लम्हे'

पहलवानों के खानदान में पैदा हुए हरिप्रसाद चौरसिया ने आखिर बांसुरी को ही क्यों चुना?

नादिरा बब्बर: शौक है सब्ज़ी खरीदना, ज़िंदगी है थिएटर

'एकजुट' थिएटर ग्रुप से नादिरा ने हिंदी रंगमंच को आगे बढ़ाया और नए कलाकारों को मौके दिए.

कुमार सानू: किशोर कुमार की नकल से 'आशिक़ी' तक

आशिक़ी से रातो रात स्टार बने कुमार सानू ने ऐसे गाने गाए जो हर किसी की ज़बान पर चढ़ गए.

प्रेम चोपड़ा: हीरो बनने की चाहत में कैसे विलेन बन 'क्रांति' की

प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा... ये डायलॉग और वो हंसी ही उनकी पहचान बन चुकी है.

कबीर बेदी: बीटल्स से लेकर जेम्स बॉन्ड तक

कबीर बेदी के सफ़र, रिश्तों की गहराई और अंतरराष्ट्रीय स्टारडम की कहानी

उषा उत्थुप: नाइटक्लब से निकली वो आवाज़ जो दुनिया में छाई

इंडी पॉप, जैज़ की रानी उषा उत्थुप की अनूठी और गहरी आवाज़ ने पूरी दुनिया में छाप छोड़ी.

पंकज कपूर: ‘गांधी’ की आवाज़ बने ‘मुसद्दीलाल’ की कहानी

रंगमंच की बारीकियां सीख किरदारों में डूब जाने की कला और जुनून पंकज कपूर की पहचान है.

महेश भट्ट: ज़िंदगी के ज़ख्म, राज़ का पूरा सारांश

महेश भट्ट के संघर्ष, दार्शनिक खोजें, निजी रिश्तों की उलझनें, सफलता और असफलताओं की कहानी

मशहूर हस्तियों की कहानी

मिलिए मशहूर हस्तियों से पूरी तसल्ली और इत्मीनान से इरफ़ान के साथ.

अलविदा नहीं, फिर मिलेंगे... कहानी रवि प्रकाश की: आठवां एपिसोड

रवि प्रकाश ने जीवन में बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं, उनका संघर्ष अब भी जारी है.

मेरी ज़िंदगी, हीरो भी मैं..कहानी रवि प्रकाश की: सातवां एपिसोड

ना सिर्फ़ पंकज त्रिपाठी बल्कि ऐसे बहुत से नाम हैं, जो रवि प्रकाश के लिए 'असल हीरो' हैं...

ज़िंदगी बचाने की कीमत कितनी..कहानी रवि प्रकाश की: छठा एपिसोड

कैंसर के इलाज में जेब का खाली होना तय है लेकिन जिनके पास पैसा ही ना हो वो क्या करें?

एक तरफ़ा प्यार..कहानी रवि प्रकाश की: पांचवा एपिसोड

जब कोई मेहमान आपके घर में अचानक आ जाए और जाने का नाम ही ना ले तो आप क्या करेंगे.

मुझे और जीने दो..कहानी रवि प्रकाश की: चौथा एपिसोड

कैंसर से जंग सांप सीढ़ी के खेल जैसी है, कभी उम्मीद तो कभी झटके की कहानी है ये.

एक शाम ज़िंदगी के नाम..कहानी रवि प्रकाश की: तीसरा एपिसोड

बंद मुठ्ठी से रेत की तरह फिसलती ज़िंदगी को रोकने का तरीका क्या है.रवि प्रकाश ने क्या किया

मौत के नाम खुला ख़त..कहानी रवि प्रकाश की: दूसरा एपिसोड

जब ज़िंदगी में अचानक मौत झांकने लगे तो क्या करेंगे आप.रवि ने इस स्थिति का सामना कैसे किया

कैंसर दबे पांव आया..कहानी रवि प्रकाश की: पहला एपिसोड

जनवरी 2021.रवि प्रकाश को पता चला कि उन्हें लंग कैंसर है और उनके पास हैं सिर्फ़ 18 महीने.

कैंसर और ज़िंदगी जीने की ज़िद- कहानी रवि प्रकाश की

ज़िंदगी के वो पन्ने जिनमें हर पूर्णविराम के बाद भी नये वाक़्य लिखने की स्याही है.

सुखांत

अबूरी छायादेवी की ये कहानी बताती है कि एक महिला को चैन की नींद नसीब होना कितना मुश्किल है

ख़ूनी कीचड़

साहित्यकार भास्कर चंदनशिव की प्रसिद्ध मराठी कहानी 'लाल चिखल' का हिंदी अनुवाद.

चीफ़ की दावत

भीष्म साहनी की ये कहानी पुत्र मोह में बंधी मां की पीड़ा बयान करती है.

रेवती

‘रेवती’ को उड़िया भाषा की पहली कहानी माना जाता है. लेखक हैं फकीर मोहन सेनापति.

सुनहरा शहर

पुडुमयपित्तन की ये कहानी बताती है कि गरीबी-लाचारी के चलते एक औरत को क्या नहीं करना पड़ता?

बेटा किसका

विजयदान देथा की कहानी में सुनिए कि बेटे का हक़ किसे मिलता है सेठ को, सेठानी को या सुनार को

एक है जानकी

उषा किरण ख़ान की लिखी ये कहानी बताती है कि एक नारी कैसे परिस्थितियों से समझौता करती है.

मैं कौन हूँ

पी.सत्यवती की ये कहानी है उस महिला की जो घर गृहस्थी के चक्कर में अपनी पहचान भूल चुकी है.

बस कंडक्टर

पंजाबी कथाकार दलीप कौर टिवाणा की लिखी ये कहानी इंसानी रिश्तों की नई इबारत लिखती है.

सती धनुकाइन

1958 में राजकमल चौधरी की लिखी कहानी समाज में निम्न वर्ग की महिलाओं की स्थिति बयां करती है.

ड्रेन में रहने वाली लड़कियाँ

असग़र वजाहत की ये कहानी सवाल उठाती है कि क्या हमारा पुरुष प्रधान समाज, नारी विरोधी है?

दिल जीतने वाली हैं ये कहानियां

भारतीय भाषाओं के प्रसिद्ध लेखकों की चर्चित कहानियां, सुनिए रूपा झा से

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कहानियां ऐसी जो दिल को छू जाएं..